Harish Singla
Harish Singla is a poet not by profession, but passion. He defines himself thus:
मुझे खुश रहने की दुआ देने वाले,
हँसी आती है तेरी सादगी पर,
हुजूर काँटा तो काँटा ही रहेगा,
लगा हो गुलाब पर, चाहे झाङी पर
Year: 2019
Harish Singla is a poet not by profession, but passion. He defines himself thus:
मुझे खुश रहने की दुआ देने वाले,
हँसी आती है तेरी सादगी पर,
हुजूर काँटा तो काँटा ही रहेगा,
लगा हो गुलाब पर, चाहे झाङी पर
Year: 2019